हनुमान चालीसा 7 बार पाठ के फायदा
अगर रोज़ाना सुबह उठकर सात बार हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए, तो किसी को कोई डर नहीं सताता और उसे भय से मुक्ति मिल जाती है
श्री हनुमान चालीसा 7 बार पाठ
श्री हनुमान चालीसा पाठ 1
दोहा
श्रीगुरु-चरन-सरोज-रजनिज-मन-मुकुर सुधारि ।बरनउँ रघुबर-बिमल-जसजो दायक फल चारि ॥
बुद्धि-हीन तनु जानिकैसुमिरौं पवनकुमार ।बल बुधि बिद्या देहु मोहिंहरहु कलेश बिकार ॥
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान-गुण-सागर ।
जय कपीश तिहुँ लोक उजागर ॥ १ ॥
राम-दूत अतुलित-बल-धामा ।
अंजनिपुत्र - पवनसुत - नामा ॥ २ ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी ।
कुमति-निवार सुमति के संगी ॥ ३ ॥
कंचन-बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुंडल कुंचित केसा ॥ ४ ॥
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज-जनेऊ छाजै ॥ ५ ॥
शंकर स्वयं केसरीनंदन ।
तेज प्रताप महा जग-बंदन ॥ ६ ॥
बिद्यावान गुणी अति चातुर ।
राम-काज करिबे को आतुर ॥ ७ ॥
प्रभु-चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम-लखन-सीता-मन-बसिया ॥ ८
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥ ९ ॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचंद्र के काज सँवारे ॥ १० ॥
लाय सँजीवनि लखन जियाये ।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥ ११ ॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहिं सम भाई ॥ १२ ॥
सहसबदन तुम्हरो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ॥ १३ ॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा ।
नारद सारद सहित अहीशा ॥ १४ ॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सकैं कहाँ ते ॥ १५ ॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा ।
राम मिलाय राज-पद दीन्हा ॥ १६ ॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना ।
लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥ १७ ॥
जुग सहस्र जोजन पर भानू ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥ १८ ॥
प्रभु-मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥ १९ ॥
दुर्गम काज जगत के जे ते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे ते ते ॥ २० ॥
राम-दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥ २१ ॥
सब सुख लहहिं तुम्हारी शरना ।
तुम रक्षक काहू को डर ना ॥ २२ ॥
आपन तेज सम्हारो आपे ।
तीनौं लोक हाँक ते काँपे ॥ २३ ॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।
महाबीर जब नाम सुनावै ॥ २४ ॥
नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥ २५ ॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ २६ ॥
सब-पर राम राय-सिरताजा ।
तिन के काज सकल तुम साजा ॥ २७ ॥
और मनोरथ जो कोइ लावै ।
तासु अमित जीवन फल पावै ॥ २८ ॥
चारिउ जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत-उजियारा ॥ २९ ॥
साधु संत के तुम रखवारे ।
असुर-निकंदन राम-दुलारे ॥ ३० ॥
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता ।
अस बर दीन्ह जानकी माता ॥ ३१ ॥
राम-रसायन तुम्हरे पासा ।
सादर हौ रघुपति के दासा ॥ ३२ ॥
तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥ ३३ ॥
अंत-काल रघुबर-पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरि-भगत कहाई ॥ ३४ ॥
और देवता चित्त न धरई ।
हनुमत सेइ सर्बसुख करई ॥ ३५ ॥
संकट कटैमिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ ३६ ॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ ३७ ॥
यह सत बार पाठ कर जोई ।
छूटहिं बंदि महा सुख होई ॥ ३८ ॥
जो यह पढ़ै हनुमान-चलीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ ३९ ॥
तुलसीदास सदा हरि-चेरा ।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥ ४० ॥
दोहा
पवनतनय संकट-हरन
मंगल-मूरति-रूप ।
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सुर-भूप ॥
हनुमान चालीसा 7 बार पाठ करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- एक शांत जगह पर बैठें।
- हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठें।
- धूप, दीप या अगरबत्ती जलाएं।
- मन को शांत करके भक्तिभाव से हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- प्रत्येक चौपाई को ध्यानपूर्वक पढ़ें और उसके अर्थ को समझने का प्रयास करें।
- पाठ समाप्त करने के बाद हनुमान जी से प्रार्थना करें।
हनुमान चालीसा 7 बार पाठ के लाभ:
- हनुमान चालीसा पाठ करने से मन शांत होता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
- भय, चिंता और परेशानियां दूर होती हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
- ग्रहों के दोष दूर होते हैं।
- विघ्नों का नाश होता है।
- सफलता प्राप्त होती है।
- धन-दौलत और समृद्धि प्राप्त होती है।
- स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
- हनुमान जी की कृपा आप पर सदैव बनी रहे।